ईद का मौक़ा हो और पाकिस्तान के चांद नवाब भाई जान की याद न आए ऐसा कैसे हो सकता है…
ईद का मौक़ा हो और पाकिस्तान के चांद नवाब भाई जान की याद न आए ऐसा कैसे हो सकता है… आख़िर इनकी ये कालजयी रिपोर्टिंग ईद के मौक़े पर उनको भी ट्रेन पकड़ने को बेताब करती है जो किसी वजह से घर जाने से रह जाते हैं…
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