सिर्फ दिल्ली में ही बाबा का ढ़ाबा नहीं है,आपके आसपास हर गली नुक्कड़ पर कोई एक बाबा अपनी बूढ़ी ऑंखों में पानी समेटे और कंधों पर परिवार के लिये रोटी जुटाने का भार लिये बैठा है, घर से निकलिये तो एैसे लोगों पर नज़र रखिये और उनसे कुछ न कुछ ज़रूर ख़रीदिये !
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