Saturday, June 27, 2020

यूपी बोर्ड के नतीजे घोषित / हाईस्कूल में 83% और इंटरमीडिएट में 74% छात्र पास; टॉपर्स के नाम पर सड़कों का नाम रखने का ऐलान

18 फरवरी से छह माह मार्च के बीच हुई थी परीक्षा, कुल 56,11,072 परीक्षार्थियों में से 51,30,481 परीक्षा में हुए थे शामिल

पहली बार डिजिटल अंकपत्र और प्रमाणपत्र मिलेंगे, इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों को मिलेगा कंपार्टमेंट में शामिल होने का मौका

99 साल में दूसरी मर्तबा लखनऊ से जारी हुआ परिणाम


लखनऊ. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने आज दोपहर 12 बजे10वीं और 12वीं परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए गए। हाईस्कूल में 83.31 प्रतिशत और इंटरमीडिए में 74.63 प्रतिशत बच्चेपास हुए हैं।सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि,1921 में स्थापित यूपी बोर्ड के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब रिजल्ट प्रयागराज की बजाय लखनऊ से जारी किया गया।इससे पहले बसपा सरकार में 2007 में हाईस्कूल का रिजल्ट लखनऊ से जबकि इंटरमीडिएट का रिजल्ट प्रयागराज से जारी किया गया था।


21 दिनों में 52 लाख से अधिककॉपियों कोचेक किया गया । पिछले साल की तुलना में इस बार परिणाम बेहतर आया है।प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ऐलान किया है कि, यूपी बोर्ड के टॉप-20 मेधावी छात्रों के घर की सड़क को उनके नाम पर बनाया जाएगा।

यहां क्लिक कर देख सकते हैं अपनी परीक्षा का परिणाम
परिणामों को बोर्ड कीआधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in और upmspresults.up.nic.in पर अपलोड कर दिया जाएगा। बोर्ड पहली मर्तबा डिजिटल हस्ताक्षर वाले अंकपत्र एवं प्रमाण पत्र जारी कर रहा है। यह डिजिटल अंकपत्र-प्रमाण पत्र छात्रों को परिणाम जारी होने के दो से तीन दिन के भीतर स्कूल के प्रधानाचार्य के माध्यम से मिल जाएगा। इंटरमीडिएट में एक विषय में फेल होने वाले परीक्षार्थी को पहली बार कंपार्टमेंट में शामिल होने का मौका दिया जा रहा है। अभी तक यह व्यवस्था हाईस्कूल के छात्रों के लिए थी।


इस बार तत्काल नहीं मिलेगा अंकपत्र और प्रमाणपत्र
यूपी बोर्ड परीक्षा 2020 का परिणाम जारी होने के साथ अबकी बार बोर्ड की ओर से छात्रों को तत्काल अंकपत्र-प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा। बोर्ड की ओर से यह निर्णय कोरोना संकट को देखते हुए लिया गया है। इससे पूर्व में बोर्ड की ओर से परिणाम जारी होने के बाद 15 दिन के भीतर अंकपत्र-प्रमाण पत्र स्कूलों को भेज दिए जाते थे। कोरोना संकट के चलते अंकपत्र-प्रमाण पत्र छपने में परेशानी हो रही है, इसीलिए स्कूलों से कहा गया है कि वह डिजिटल हस्ताक्षर वाले अंकपत्र-प्रमाण पत्र वेबसाइट से डाउनलोड करके छात्रों को वितरित करें। डिजिटल हस्ताक्षर वाले प्रमाण पत्र प्रवेश लेने से लेकर नौकरी तक में मान्य होंगे।


इंटरमीडिएट पास करने वाले छात्रों को पहले डिजिटल प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएगा, जिससे उन्हें प्रवेश लेने में परेशानी न हो।
4.80 लाख ने छोड़ी थी परीक्षा, कॉपियों के मूल्यांकन भी पड़ा असर
यूपी बोर्ड परीक्षा में पंजीकृत कुल 56,11,072 परीक्षार्थियों में से 51,30,481 परीक्षा में शामिल हुए थे। परीक्षा में हाईस्कूल में 30,24,632 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। उसमें से 2,79,656 अनुपस्थित रहे, जबकि 27,44,976 शामिल हुए। इंटरमीडिएट में 25,86,440 परीक्षार्थी पंजीकृत थे।20,0935 अनुपस्थित रहे। जबकि 23,85,505 परीक्षा में शामिल हुए। इस प्रकार कुल 4,80,591 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए।


बोर्ड परीक्षाएं 18 फरवरी से छह मार्च के बीच हुई थी। वहीं, पिछले साल 2019 में बोर्ड परीक्षाएं सात फरवरी से दो मार्च के बीच हुई थी। तब परीक्षा के 56 दिन बाद27 अप्रैल को परिणाम जारी कर दिए गए थे। लेकिन, इस बार कोरोना संकट काल के चलते न सिर्फ बोर्ड कॉपियों के मूल्यांकन में देरी हुई, बल्कि परीक्षा परिणाम भी 112 दिन बाद आ रहे हैं। 16 मार्च से कॉपियों का मूल्यांकन होना था। लेकिन, कोरोना के चलते यह काम पांच मई से शुरू हो पाया था।

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