नोएडा के एक निजी कोविड अस्पताल में इलाज के दौरान कोरोना संक्रमित डॉक्टर की मौत हो गई। इसके बाद डॉक्टर के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के नाम पर मनमानी रकम वसूलने का आरोप लगाया है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने 20 दिन इलाज करने के बदले उन्हें करीब 14 लाख रुपये का बिल थमा दिया है।
नोएडा के सेक्टर 11 में रहने वाले एक डॉक्टर निजी क्लीनिक चलाते थे। डॉक्टर की तबीयत खराब होने पर 7 जून को सेक्टर-62 स्थित निजी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी कोरोना संक्रमण की जांच कराई गई। 8 जून को उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। 13 जून को उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। वह करीब 15 दिन वेंटिलेटर पर रहे और रविवार को उनकी मौत हो गई। वह बीयूएमएस डॉक्टर थे और सेक्टर-11 में क्लीनिक चलाते थे और गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक में रहते थे।
उनके बेटे ने बताया कि आईसीएमआर के तय रेट के अनुसार गंभीर रोगी के इलाज में प्रतिदिन 10 हजार रुपये खर्च आता है। वेंटिलेटर व पीपीई किट का चार्ज 10 हजार अधिक मानकर प्रतिदिन का खर्च 20 हजार रुपये भी लगाएं तो भी 20 दिन के इलाज का खर्च 4 लाख रुपये आता है, लेकिन अस्पताल ने इलाज के बदले 13.77 लाख रुपये मांगे हैं।
उधर, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज से संबंधित ब्योरा लिया जा रहा है। प्रत्येक जांच और दवा का रिकॉर्ड हमारे पास है। मरीज को दो बार 40-40 हजार के इंजेक्शन भी दिए गए थे। मृतक का शव देने के लिए अस्पताल प्रबंधन की तरफ से किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया गया है।
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