दिल्ली में अब हर कोरोना संक्रमित मरीज को कम से कम पांच दिन तक सरकारी केंद्र में क्वारंटीन रहना होगा। इसके बाद अगर डॉक्टरों को उक्त मरीज में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तो उसे होम क्वारंटीन में भेजा जा सकता है। शुक्रवार देर शाम दिल्ली आपदा प्रबंधन समिति (डीडीएमए) ने होम आइसोलेशन नीति में बदलाव के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली की होम आइसोलेशन नीति पर सवाल उठाते हुए तत्काल इनमें बदलाव करने के निर्देश दिए थे। हालांकि अब इस पर विवाद हो गया है। दिल्ली सरकार का मानना है कि केंद्र सरकार के इस कदम से दिल्ली में अफरा-तफरी का माहौल बन जाएगा।
सत्येंद्र जैन की अनुपस्थिति में कार्यकारी स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कहा कि, आज 12 बजे दिल्ली राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक है। इसमें हम एलजी साहब के होम आइसोलेशन खत्म करने के आदेश का विरोध करेंगे और इसे बदलने को कहेंगे। होम आइसोलेशन खत्म करने का यह आदेश आईसीएमआर की गाइडलाइन्स के खिलाफ है और उनके इस आदेश से दिल्ली में अफरातफरी मच जाएगी।
वहीं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार तानाशाही पर उतारू है। जो लोग अपने घर में ठीक हो सकते हैं उनको 47 डिग्री की तपती गर्मी में रेल कोच में क्यों रखना चाहती है भाजपा? भाजपा के नेता रेल कोच की आग भट्टी में दो दिन रह कर दिखाएं।
दिल्ली सरकार का कहना है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दिल्ली सरकार का होम आइसोलेशन कार्यक्रम सबसे सफल कदमों में से एक रहा है। इसमें हर दिन निगरानी और परामर्श के माध्यम से घर पर हजारों हल्के और बिना लक्षण वाले लोगों का इलाज किया है।
यही नहीं, दिल्ली सरकार का दावा है कि आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के अनुसार होम आइसोलेशन प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जा रहा है। दिल्ली सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि होम आइसोलेशन ने मामूली लक्षणों वाले बहुत से लोगों को बाहर आने और अपनी जांच कराने के लिए प्रोत्साहित किया है। केंद्र सरकार के रोक लगाने के आदेश से लोग जांच के प्रति हतोत्साहित करेगा। एसिम्प्टोमैटिक व हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज जांच से बचेंगे और क्वारंटीन नहीं होंगे, नतीजतन संक्रमण और फैलेगा।
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