Thursday, June 25, 2020

CBSE 10वीं-12वीं की बची हुई परीक्षाएं रद्द / सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- पिछले 3 एग्जाम्स के आधार पर 12वीं के स्टूडेंट्स का असेसमेंट होगा, वे बचे हुए पेपर बाद में भी दे सकेंगे

CBSE ने 18 मार्च को 12वीं की एग्जाम टाल दी थी, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 10वीं के भी 6 पेपर नहीं हो पाए थे

10वीं और 12वीं के कुल 29 सब्जेक्ट के पेपर बाकी थे, इनकी एग्जाम 1 से 15 जुलाई के बीच होनी थी

सीबीएसई ने कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से 10वीं और 12वीं के बचे हुए पेपर रद्द करने का फैसला किया है। इन दोनों क्लास के 29 सब्जेक्ट्स केपेपर 1 से 15 जुलाई के बीच होने थे। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई में बोर्ड की तरफ से सरकार ने बताया कि अब 12वीं के स्टूडेंट्स का असेसमेंट उनके पिछले 3 एग्जाम के आधार पर होगा। वे बचे हुए पेपर बाद में भी दे सकेंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आईसीएसई बोर्ड ने भी 10वीं और 12वीं बोर्ड के एग्जाम रद्द करने का फैसला किया है, लेकिन वह स्टूडेंट्स को बाद में पेपर देने का विकल्प नहीं देना चाहता।


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

12वीं की परीक्षा के बारे में सीबीएसई नोटिफिकेशन जारी करे।

अभी इंटरनल असेसमेंट और बाद में बचे हुए पेपर देने का विकल्प दिया जाए।

रिजल्ट घोषित करने की तारीख बताई जाए।

स्टेट बोर्ड में एग्जाम्स किस तरह होंगे, इस पर केंद्र स्थिति साफ करे।

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार सुबह 10:30 बजे फिर सुनवाई करेगा।



सीबीएसई के फैसले के बाद आगे क्या? स्टूडेंट्स के पास क्या विकल्प हैं?
इंटरनल असेसमेंट
सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि 10वीं के बच्चों के जो पेपर बाकी रह गए थे, उन्हें कैंसल कर दिया गया है। उन्हें बाद में भी एग्जाम देने की जरूरत नहीं है।वहीं, नई स्कीम के तहत 12वीं के स्टूडेंट्स का इंटरनल असेसमेंट उनके पिछले 3 एग्जाम के आधार पर होगा और उनका रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।

बाद में एग्जाम्स
12वीं के स्टूडेंट्स बाद मेंएग्जाम देने का विकल्प भी चुन सकेंगे ताकि वे इंटरनल असेसमेंट से निकला अपनारिजल्ट और सुधार सकें। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जैसे ही माहौल सुधरेगा, 12वीं के स्टूडेंट्स अपने बचे हुए पेपर दे सकेंगे।


नया एकेडमिक ईयर और एडमिशंस
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि नया एकेडमिक ईयर कब से शुरू करेंगे, यह साफ होना चाहिए। अगर अगस्त में एग्जाम्स होंगे, तो एकेडमिक ईयर सितंबर से शुरू होना चाहिए। इस पर सीबीएसई की तरफ से बताया गया कि जितना जल्द मुमकिन होगा, रिजल्ट घोषित किए जाएंगे। इंटरनल असेसमेंट से निकले रिजल्ट के बेसिस पर स्टूडेंट्स एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकेंगे।


परीक्षाएं रद्द करने के पीछे की 3 वजह
1. कोरोना के मामले बढ़ रहे, स्कूल क्वारैंटाइन सेंटर बन गए
10वीं और 12वीं की परीक्षा देने वाले बच्चों के पैरेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। इसमें मांग की गई थी कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बोर्ड को एग्जाम्स रद्द कर देना चाहिए। इसमें यह दलील दी गई कि सीबीएसई विदेशों में मौजूद 250 स्कूलों की परीक्षाएं रद्द कराने का फैसला पहले ही ले चुका है तो देश में भी बचे हुए पेपर रद्द होने चाहिए।

2. कई स्कूल क्वारैंटाइन सेंटर बन गए
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा था कि दिल्ली में परीक्षाएं कराने के लिए स्कूलों में अभी जगह नहीं है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान सीबीएसई और सरकार की तरफ से दलील देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि कई स्कूलों को क्वारैंटाइन सेंटर बनाया जा चुका है। ऐसे में लॉजिस्टिक से जुड़े कई मसले हैं।

3. तीन राज्य अभी एग्जाम नहीं चाहते थे
सॉलिसिटर जनरल ने सुनवाई के दौरान बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर पिटीशन के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली और ओडिशा सरकार ने पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय को चिट्‌ठी लिखकर कहा था कि परीक्षाएं रद्द कर देनी चाहिए।

कुल 29 सब्जेक्ट्स के एग्जाम नहीं हो पाए थे
सीबीएसई 12वीं के 12 सब्जेक्ट के पेपर बचे थे। वहीं, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इन 12 के अलावा 11 और मेन सब्जेक्ट के पेपर बाकी थे। 18 मार्च को ये परीक्षाएं टाल दी गई थीं। वहीं, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में ही सीबीएसई 10वीं के 6 पेपर होना बाकी थे। इस तरह 10वीं और 12वीं के 10 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को कुल 29 सब्जेक्ट के पेपर देना थे।


इन 3 एग्जाम्स के बारे में स्थिति साफ होना बाकी

जेईई मेन - 18 जुलाई से 23 जुलाई। इसी एग्जाम के बेस पर स्टूडेंट्स जेईई एडवांस्ड के लिए क्वालिफाई होते हैं। जेईई मेन के जरिए एनआईटी, सरकारी और प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन मिलता है। इसमें 9 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल होते हैं।

नीट - 26 जुलाई। इसके जरिए सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन मिलता है।

जेईई (एडवांस्ड) - 23 अगस्त। सिर्फ 2.5 लाख स्टूडेंट्स जेईई मेन के बाद एडवांस्ड के लिए क्वालिफाई कर पाते हैं। इसके जरिए 23 आईआईटी में एडमिशन मिलता है।


स्टूडेंट्स के सामने चुनौतियां
1. जहां मेरिट के आधार पर एडमिशन मिलता है, वहां क्या होगा?

आईआईटी दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर और एजुकेशनिस्ट प्रोफेसर अजॉय घातक ने बताया कि इस फैसले का जेईई, जेईई एडवांस्ड और नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के करियर पर सीधे तौर पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि इन स्टूडेंट्स का एडमिशन एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर ही होना है।


वे कहते हैं कि जो स्टूडेंट्स बीएससी (ऑनर्स), बीए (ऑनर्स) या इकोनॉमिक (ऑनर्स) जैसे कोर्सेस की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए चुनौती रहेगी, क्योंकि इन कोर्सेस में ज्यादातर इंस्टिट्यूट मेरिट पर ही एडमिशन देते हैं।

प्रोफेसर घातक ने बताया कि उदाहरण के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे इंस्टिट्यूट में कटऑफ हर साल बढ़ रहा है। वहां 99% तक कटऑफ पहुंच रहा है। अगर इस साल 12वीं करने वाले स्टूडेंट ने डीयू के किसी कॉलेज में एडमिशन लेने का टारगेट रखा होगा, तो वो क्या करेगा, यह भी बड़ा सवाल है।

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