Monday, June 15, 2020

कोरेाना वायरस के प्रसार के कारण स्कूल भले देर से खुलेंगे, लेकिन जुलाई से पढ़ाई होगी शुरू, जानें कैसे

कोरेाना वायरस के प्रसार के कारण स्कूल भले देर से खुलेंगे, लेकिन जुलाई से पढ़ाई होगी शुरू, जानें कैसे
बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्कूलों के खुलने को लेकर अभी भले ही संशय बना हुआ है, लेकिन सरकार ऑनलाइन पढाई को फिलहाल समय पर शुरू करने की तैयारी में है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के भीतर इसे लेकर तैयारियां तेजी से चल रही है। स्कूलों के लिए एक क्लास- एक चैनल की प्रस्तावित योजना के तहत 12 नए टीवी चैनलों को भी जून अंत तक शुरू किया जा सकता है। इसके साथ ही दूसरे अन्य माध्यमों से भी छात्रों को घर बैठे ही पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी चल रही है। स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई को लेकर नए सिरे से यह हलचल उस समय शुरू हुई है, जब स्कूलों की गर्मी की छुट्टियां खत्म होने वाली है। 
एनसीईआरटी और केवीएस को अध्ययन सामग्री जल्द तैयार करने का दिया गया लक्ष्य
केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्कूलों की छुट्टियां जहां 19 जून को खत्म हो रही है। वहीं ज्यादातर राज्यों के स्कूलों की छुट्टियां भी 30 जून तक खत्म हो रही है। यानी एक जुलाई से स्कूल खुलने चाहिए। यह बात अलग है कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इनके खुलने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। बहरहाल, ऑनलाइन पढ़ाने की तैयारी है। इसके तहत स्कूलों के लिए प्रस्तावित 12 नए टीवी चैनलों को अब जून अंत तक शुरू करने की योजना बनाई है। एनसीईआरटी और केंद्रीय विद्यालय संगठन दोनों को ही जल्द से जल्द इससे जुड़ी अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने को कहा गया है। 


जून अंत तक शुरु हो सकते है 12 नए स्कूली चैनल, तेज हुई तैयारी
इसके अलावा प्रस्तावित टीवी चैनल के लिए समय पर अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए हाल ही में एनसीईआरटी ने रोटरी इंडिया के साथ एक करार भी किया है। इसके तहत रोटरी इंडिया ई-कंटेट तैयार करने का काम करेगी। जो एनसीईआरटी की मंजूरी के बाद टीवी चैनल पर प्रसारित की जाएगी। स्कूलों के प्रस्तावित सभी 12 चैनल 24 घंटे संचालित होंगे।


हालांकि इनमें हर दिन छह घंटे की ही नई अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। जो दिन में तीन बार रिपीट की जाएगी। ताकि कोई भी छात्र यदि उस समय अपना पाठ टीवी पर पढ़ने से चूक गया हो, तो वह बाद में उसे पढ़ सकता है। इसके साथ ही जिन छात्रों के पास इंटरनेट या मोबाइल उपलब्ध है, उन्हें दूसरे वैकल्पिक माध्यमों से भी यानी यूट्यूब, फेसबुक, गूगल क्लास आदि के जरिए भी पढ़ाने की योजना है। 

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