Saturday, July 25, 2020

घटाकर तेल चोरी पेट्रोल पंपों पर भारी, ग्राहक शिकायत कर रद्द करा सकते हैं पंप का लाइसेन्स भी

जब भी आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल या डीजल भरवाने जाएं तो ध्यान रखें कहीं चिप लगाकर या किसी अन्य तरीके से घटटौली तो नहीं हो रही है। यदि ऐसा है तो आप अपने अधिकारों का प्रयोग कर पंप के खिलाफ ग्राहक अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि आपकी शिकायत सही पाई गई तो दोषी पंप का लाइसेन्स तक रद्द हो सकता है। इसके लिए मोदी सरकार ने कंज़्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट में व्यापक संशोधन किए हैं।
20 जुलाई को नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) लागू हो जाने के बाद पेट्रोल पंप संचालकों पर नकेल कसना शुरू हो जाएगा।

देश में तेल के चोरी का खेल छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों और गांवों तक चल रहा है। पेट्रोल पंप संचालक कई तरह से उपभोक्ताओं को चूना लगाते हैं। आम आदमी अक्सर पेट्रोल-डीजल लीटर से नहीं बल्कि रुपये से भरवाते हैं. फिक्स रुपये जैसे 100 रुपये, 500 रुपये या 2000 हजार का तेल देने के लिए कहते हैं। ग्राहक को पता नहीं होता है कि इस फिक्स रुपये पर बोलने पर पहले से ही पेट्रोल पंप संचालकों के द्वारा चीप लगाकर लीटर घटा दिया जाता है और ग्राहक ठगे जाते हैं।

शिकायत पर रद्द हो जाएगा पेट्रोलपंप का लाइसेंस!
नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून 2019 के मुताबिक अब मिलावटी या नकली उत्पादों के विनिर्माण या बिक्री के लिए सख्त कड़े नियम तय किए गए हैं। अब अगर ग्राहक कम तेल मिलने की शिकायत करते हैं तो उपभोक्ता कानून में किसी सक्षम न्यायालय द्वारा दंड का प्रावधान किया गया है। पहली बार न्यायालय में दोष सिद्ध होने पर पेट्रोल पंप मालिक का लाइसेंस दो साल तक की अवधि के लिए निलंबित किया जा सकता है। अगर दूसरी या उसके बाद भी पेट्रोल पंप मालिक के खिलाफ शिकायत आता है तो स्थाई तौर पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
कुल मिलाकर आए दिन पेट्रोल पंप पर एसडीएम, माप-तौल विभाग और पूर्ति विभाग का छापा मारा जाता है, लेकिन पेट्रोल पंप की मिलीभगत से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है, लेकिन अब नए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट आने के बाद ग्राहकों को कई तरह के अधिकार मिले हैं।

उपभोक्ता संरक्षण कानून की कुछ और महत्वपूर्ण विशेषताएं

पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी। पहले के कानून में ऐसा नहीं था।

नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिग कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है।

खाने-पीने की चीजों में मिलावट तो कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान।

कंज्यूमर मीडिएशन सेल का गठन। दोनों पक्ष आपसी सहमति से मीडिएशन सेल जा सकेंगे।

कंज्यूमर फोरम में एक करोड़ रुपये तक के केस

स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपये

नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपये से ऊपर केसों की सुनवाई।

कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत।

सिनेमा हॉल में खाने-पीने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने वालों की अगर मिलती है शिकायत तो होगी कार्रवाई।

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